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जो बिडेन का जीवन परिचय ( Biography of Jo Biden )

                                  जो बिडेन का जीवन परिचय ( Biography of Jo Biden ) 


अमेरिकी राजनीति में करीब पांच दशकों से सक्रिय जो बाइडन ने सबसे युवा सीनेटर से लेकर सबसे उम्रदराज अमेरिकी राष्ट्रपति बनने तक का शानदार सफर तय करके शनिवार को इतिहास रच दिया। 77 वर्षीय बाइडन छह बार सीनेटर रहे और अब अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हराकर देश के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यह कामयाबी उन्होंने अपने पहले प्रयास में पा ली है। बाइडन को वर्ष 1988 और 2008 में राष्ट्रपति पद की दौड़ में नाकामी मिली थी।



राष्ट्रपति बनने का सपना संजोये डेलावेयर से आने वाले दिग्गज नेता बाइडन को सबसे बडी सफलता उस समय मिली जब वह दक्षिण कैरोलीना की डेमोक्रेटिक पार्टी प्राइमरी में 29 फरवरी को अपने सभी प्रतिद्वंद्वी को पछाड़कर राष्ट्रपति पद की दौड में जगह बनाने में कामयाब रहे। वाशिंगटन में पांच दशक गुजारने वाले बाइडन अमेरिकी जनता के लिए एक जाना-पहचाना चेहरा थे क्योंकि वह दो बार तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में उप राष्ट्रपति रहे।




74 वर्षीय ट्रंप को हराकर व्हाइट हाउस में जगह पाने वाले बाइडन अमेरिकी इतिहास में अब तक के सबसे अधिक उम्र के राष्ट्रपति बन गए हैं। आइए हम आपको बताते हैं बाइडन के राजनीतिक करियर और उनकी जिंदगी के संघर्षों के बारे में...

डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन का राजनीतिक करियर काफी लंबा रहा है। बाइडन 78 साल की उम्र में अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं।


जो बाइडेन की जीवनी अमेरिका का पेंसिलवेनिया शहर के आइरिश कैथोलिक परिवार में 20 नवंबर 1942 को जो बाइडेन का जन्म हुआ था। करीब 10 साल तक उनके पिता पेंसिलवेनिया में ही रहे मगर बाद में रोजगार की तलाश में न्यू कैसल आ गये। जहां उनके पिता ने एक कार शोरूम में सेल्समैन की नौकरी करनी शुरू कर दी। दो कमरों के एक घर में जो बाइडेन अपने माता पिता और चार भाई-बहनों के साथ रहते थे। यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर (University of Delaware) से जो बाइडेन ने 1961 से 1965 के दौरान पॉलिटिकल साइंस में बैचलर डिग्री हासिल की। विश्वविद्यालय में पढ़ने के दौरान ही जो बाइडेन का राजनीतिक रूझान बन गया और वो अमेरिका की राजनीति में आने का मन बनाने लगे। पहली राजनीतिक कामयाबी बैचलर डिग्री हासिल करने के दौरान ही जो बाइडेन ने अमेरिका की राजनीति में जाने के मन बना लिया। राजनीति में जाने का मन भले ही जो बाइडेन ने बना लिया मगर उन्होंने पढ़ाई बंद नहीं की। ग्रेजुएशन के बाद जो बाइडेन Syracuse University College of Law में वकालत की पढ़ाई करने चले गये। और 1968 में उन्होंने Juris Doctor की डिग्री हासिल कर ली। Juris Doctor की डिग्री अमेरिकी कानून में सबसे ऊंची डिग्री मानी जाती है। वकालत की डिग्री हासिल करने के बाद जो बाइडेन ने वकालत की प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी। वकालत की प्रैक्टिस करने के साथ ही सिर्फ 29 साल की उम्र में जो बाइडेन पहली बार अमेरिका के सीनेटर बने। पहली बार सीनेटर बनने के बाद वो कभी हारे नहीं, बल्कि अमेरिकी इतिहास में सबसे लंबे वक्त तक सीनेटर रहने वाले सदस्य बन गये। 1973 से 2009 तक वो अमेरिकी सीनेट के सदस्य रहे। जो बाइडेन ने अपने पॉलिटिकल कैरियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक हादसे में खो दिया पूरा परिवार जो बाइडेन को पहली राजनीतिक कामयाबी तो हासिल हो गई थी मगर इसी बीच जिंदगी ने उन्हें सबसे बड़ा झटका दे दिया। 1972 में जब जो बाइडेन सीनेट चुने गये, ठीक उसके एक हफ्ते बाद ही उनका पूरा परिवार एक हादसे में खत्म हो गया। एक कार हादसे में जो बाइडेन ने अपनी पत्नी और बेटे-बेटी को खो दिया। जब उन्होंने अपने पहले टर्म में सीनेटर पद की शपथ ली, उस वक्त वो अस्पताल के कमरे में अपने दो दुधमुंहे बच्चे के साथ थे। राष्ट्रपति पद के लिए रेस वैसे तो किसी भी देश में सर्वोच्च पद पर पहुंचना आसान नहीं होता है, लेकिन दुनिया के सबसे शक्तिशाली मुल्क अमेरिका में राष्ट्रपति बनना नाको चने चबाने जैसा होता है। वो साल था 1987 था, जब जो बाइडेन ने पहली बार राष्ट्रपति पद के लिए अपनी कैम्पेनिग शुरू की, मगर उनकी कैम्पेनिंग उस वक्त कमजोर पड़ गई जब आरोप लगा कि उन्होंने एक ब्रिटिश नेता की स्पीच चुराई है। राष्ट्रपति पद के लिए पहली कैम्पेनिंग खराब होने के बाद वो काफी बीमार पड़ गये। अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था और डॉक्टरों को उनकी जान बचाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। डॉक्टरों ने तो यहां तक कह दिया कि व्हाइट हाउस के लिए उनकी कैम्पेनिंग उनकी जान ले सकता था। 2008 में भी राष्ट्रपति पद की दावेदारी के लिए उन्होंने अपनी पार्टी के अंगर नॉमिनेशन फाइल करने की कोशिश की थी मगर सपोर्ट नहीं मिलने की वजह से उन्होंने दावेदारी वापस ले ली। लेकिन जब बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो जो बाइडेन की किस्मत चमक उठी। बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने और जो बाइडेन को अमेरिका का उपराष्ट्रपति बनाया गया। कामयाबी की कीमत जो बाइडेन लगातार राजनीतिक कामयाबी भले ही हासिल कर रहे थे मगर इस कामयाबी के लिए उन्हें बहुत कीमत चुकानी पड़ी। मई 2015 में उनके बड़े बेटे का कैंसर से निधन हो गया। बेटे की मौत ने जो बाइडेन को अंदर से तोड़कर रख दिया। वो राजनीतिक शून्यता की तरफ बढ़ने लगे। पूरे पांच सालों तक जो बाइडेन अमेरिका की राजनीति में खामोश रहे, मगर साल 2020 में उन्होंने पूरी ताकत के साथ वापसी की और राष्ट्रपति पद के लिए डोनल्ड ट्रंप को सीधी टक्कर देनी शुरू कर दी। डोनल्ड ट्रंप राष्ट्रवाद के घोड़े पर सवार होकर दौड़े जा रहे थे, जिसका लगाम जो बाइडेन ने थाम लिया। उन्होंने अमेरिकी जनता से कई वादे किए, डोनल्ड ट्रंप की नाकामयाबियों का कच्चा चिट्ठा खोला और अमेरिकी जनता ने उनकी बातों पर यकीन करते हुए उनके हाथों में राष्ट्रपति पद की कुर्सी सौंप दी। 20 जनवरी को जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। लेकिन, उनका जीवन संघर्षों और कामयाबी के लिए गंभीर कीमत चुकाने के लिए याद रखा जाएगा।

कौन है जो बाइडेन?

जो बाइडेन का पूरा नाम जोसेफ जो बाइडेन हैं, बाइडेन की उम्र 77 वर्ष की है। जो बाइडेन का जन्म नवंबर 1942 में हुआ था, तब भारत में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन’ चल रहा था। जो बाइडेन बराक ओबामा के पूर्व उपाध्यक्ष रहे हैं और 2020 के राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हैं। बाइडेन सिरैक्यूज़ यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लॉ के स्नातक हैं, स्नातक करने के एक साल बाद डेलावेयर बार परीक्षा पास की है। उन्होंने काउंटी परिषद के लिए काफी अभ्यास किया। अमेरिकी सीनेट में रहते हुए, बाइडेन ने न्यायपालिका समिति और विदेशी संबंध समिति में सेवा की, कानून और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में एक महत्वपूर्ण अनुभव का निर्माण किया।

निजी जीवन

जो बाइडेन ने अपने निजी जिंदगी में दो बार शादी की है। इनकी पहली पत्नी साल 1972 में क्रिसमस के एक हफ्ते पहले जब बाजार से क्रिसमस ट्री खरीदने निकली थी उनके साथ में उनके 3 बच्चे भी थे। उनका कार दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें उनकी पत्नी और उनकी बेटी मारी गई थी। उनके दो बेटे ब्यू और हंटर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस दौरान बाइडेन को काफी मानसिक आघात पहुंचा था।

फिर भी, अपने परिवार के प्रोत्साहन पर बिडेन ने सीनेट में डेलावेयर के लोगों का प्रतिनिधित्व करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करने का फैसला किया। और उन्होंने सीनेट की शपथ ली।उन्होंने वाशिंगटन में नए सीनेटर के लिए शपथ ग्रहण समारोह को समाप्त करने के बाद इसके बजाय अपने बेटों को अस्पताल के कमरे से पद की शपथ ली। अपने बेटों के साथ अधिक से अधिक समय बिताने के लिए, बिडेन वेलिंगटन, वाशिंगटन के बीच में ट्रेन से सफर करने लगे। माई 30, साल 2015 में उनके बेटे ब्यू (Beau) की मौत हो गई। उन्हें ब्रेन कैंसर था।

साल 2020 में वह पुनः राष्ट्रपति चुनाव में खड़े हैं। और इस बार वे राष्ट्रपति चुनाव जीतने की ओर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने 11 अगस्त 2020 को यह घोषणा की कि एक महिला जो कि भारतीय मूल की है कमला हैरिस (Kamala Harris) उनके लिए उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकित की गई है। यह भारत जैसे देश के लिए सम्मान की बात है।

अनुभव

यदि बाइडेन 3 नवंबर को 78 में चुनाव जीतते हैं, तो वह कार्यालय लेने वाला सबसे पुराना राष्ट्रपति बन जाएंगे। बाइडेन काफी अनुभवी हैं, बाइडेन ने अमेरिकी सीनेट में छह कार्यकाल और उपराष्ट्रपति के रूप में दो कार्यकाल के लिए कार्य किया है। वैश्विक संकट के बीच, बाइडेन राष्ट्रपति ट्रम्प के पदभार ग्रहण करने से पहले सेवा में कमी के खिलाफ अपने सरकारी अनुभव का लाभ उठाना चाह रहे हैं। अपनी अपील में जोड़ने के लिए बाइडेन के पास आठ साल की ओबामा नीति का अनुभव भी है, जबकि अफोर्डेबल केयर एक्ट के साथ उनकी भागीदारी उन्हें एक स्वास्थ्य सेवा संकट के दौरान बाहर खड़ा करती है।

कोरोना को लेकर चिंतित

पूर्व उपाध्यक्ष ने 1972 में एक कार दुर्घटना में अपनी पहली पत्नी और एक बेटी को खो दिया, और 2015 में मस्तिष्क कैंसर में एक और पुत्र को खो दिया। उन्होंने अक्सर उन्हें सार्वजनिक, सस्ती स्वास्थ्य देखभाल के लिए ‘व्यक्तिगत’ के रूप में एक कारण के रूप में उद्धृत किया। बाइडेन ओबामा-युग अफोर्डेबल केयर एक्ट के समर्थक हैं – जो सस्ती पहुंच को प्राथमिकता देता है – जैसा कि मेडिकेयर फॉर ऑल – जो कुल कवरेज सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखता है – एक ऐसा कदम जिसने सेन बर्नी सैंडर्स और सेन एलिजाबेथ वारियर के पूर्व उपाध्यक्ष के समर्थकों को सावधान कर दिया है। चुनाव के समय में, बाइडेन ने कॉरोनोवायरस संकट से निपटने के लिए कई सुझाव दिए हैं, जिसमें COVID-19 परीक्षणों को स्वतंत्र और आसानी से सुलभ बनाना शामिल है। उन्होंने भविष्य के वैक्सीन को यथासंभव सस्ता बनाने की वकालत की और आदर्श रूप से, रोगियों को मुफ्त में वैक्सीन लगाई जाएगी।

बाइडेन भारत के लिए अच्छे या बुरे?

भारत बाइडेन को लेकर दो मतों में बटा हुआ है, एक धड़ा बाइडेन को सही और दूसरा गलत मानता है। बाइडेन के बयानों के अनुसार, वह जम्मू कश्मीर और एनआरसी-सीएए के कारण भारत से असंतुष्ट हैं। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फॉरेन पॉलिसी को लेकर बाइडेन का नजरिया बिलकुल अलग है। एक दूरदर्शी नेता होने के नाते बाइडेन अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को काफी गहराई से देखते हैं, किसी देश की आंतरिक नीति में वह ज्यादा दखल नहीं देते। जबकि ट्रम्प भारत का साथ देते हुए, कई बार भारत को नुक्सान पहुंचाया है। ऐसे में बाइडेन काफी सोच समझकर फैसला करने में यकीन करते हैं।

भारत अमेरिका का रिश्ता

ट्रम्प का कार्यकाल भारत के लिए काफी लाभदायक साबित नहीं हुआ। भारतीय उत्‍पादों पर अधिक टैरिफ, H-1B वीजा रोकना और कश्‍मीर मुद्दे पर ट्रम्प के बयानों ने भारत को काफी नुक्सान पहुँचाया है। जबकि बाइडेन ट्रम्प से बिलकुल अलग सोच रखते हैं, वह विदेशी नीति को ज्यादा बेहतर समझते हैं। ऐसे में बाइडेन भारत-अमेरिका के रिश्तों को बेहतर बना सकते हैं। लेकिन बाइडेन से भारत को बहुत ज्यादा उम्मीदें भी नहीं लगानी चाहिए, क्योंकि बाइडेन भारत को लेकर अमेरिका की नीतियों में बदलाव नहीं करेंगे। लेकिन बाइडेन के पूर्व बयानों के अनुसार, वह भारत-अमेरिका के संबंधों को काफी महत्वपूर्ण मानते हैं। वह भारत को अमेरिका के लिए ‘प्राकृतिक साझेदार’ मानते हैं। ओबामा के समय में भारत-अमेरिका के संबंध बेहतर हुए, ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि बाइडेन के कार्यकाल में भारत-अमेरिका के संबंध ठीक रहेंगे।

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