googlea2c07d1826884cd8.html googlea2c07d1826884cd8.html मदन मोहन मालवीय Biography in Hindi - Lifestyle

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मदन मोहन मालवीय Biography in Hindi

 मदन मोहन मालवीय  जीवनी हिंदी में | Madan Mohan Malviya biography in Hindi :-

इस ब्लॉग में आपका स्वागत है , आज हम  आपको इस आर्टिकल के माध्यम से एक महान स्वतंत्रत सेनानी , राजनीतिज्ञ और सामाज सुधारक मदन मोहन मालवीय जी के बारे में बताने वाले है | मदन मोहन मालवीय जी ऐसे व्यक्ति थे , जिन्होंने विश्र्श्कर दलितों को मंदिरों में प्रवेश पर  प्रतिबन्ध के खिलाफ खुलकर आवाज़ उठाई , और बहुत से आन्दोलन भी चलाये | मदन मोहन मालवीय जी ने अच्छे कार्यो की वजह से उन्हें राष्ट्रपति  प्रणव मुखर्जी के शाशनकाल के दौरान मरणोपरांत  भारत के सर्वोच्च पुरस्कार " भारत रत्न " से सम्मानित भी किया गया | मदन मोहन मालवीय जी सदैव लोगो की सेवा मे तात्पर्य रहते थे | इन्होने सदैव समाज को न्याय दिलाने में कोई भी संकोच नही किया | तो चलिए हम आपको "Madan Mohan Malviy Biography in Hindi " के बारे में विस्तार से जानकारी देते है | 



मदन मोहन मालवीय का प्रारम्भिक - जीवन :-

 एक बड़े समाज सुधारक मदन मोहन मालवीय जी का जन्म 25  दिसंबर 1861  ई. को इलाहबाद (जो अब प्रयागराज  है ) हुआ था | इनके पिता जी का नाम श्री ब्रजनाथ था | तथा इनकी माता जी का नाम श्री मती भूनादेवी था | मालवीय जी बचपन से ही बड़े सरल स्वाभाव के व्यक्ति थे , इनका नाम मदन मोहन था , लेकिन ये मालवा के मूल निवासी थे | इसीलिए इनके नाम के पीछे मालवीय शब्द जुड़ गया | मदन मोहन मालवीय जी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा इलाहबाद से ही पूरी की , फिर बाद में इन्होने इलाहबाद से ही कानूनी की पढाई की पूरी की  | मालवीय जी पढाई में भी काफी अच्छे थे | इन्होने  अपनी पढाई पूरी करने के बाद इलाहबाद में ही एक शिक्षक की रूप में भी कार्य किया | 

इन्होने कुछ समय बाद शिक्षक का कार्य छोड़कर इलाहबाद हाईकोर्ट में वकील के रूप में भी कार्य किया | कुछ समय बाद मालवीय जी पत्रकारिता में भी लग गये | इन्होने 1907 ई. तक "हिन्दुतान , इंडियन और यूनियन अभ्युदय" का संपादन भी किया | ये पत्रिकाये खूब पसंद की गयी | 


मदन मोहन मालवीय जी की शिक्षा :-

मदन मोहन मालवीय जी की प्रारंभिक शिक्षा इलाहबाद के श्री धर्मोग्यानपदेश से पूरी हुई | फिर बाद में इन्होने इलाहाबाद के ही जिला विद्यालय से एंट्रेंस की परीक्षा उर्रिर्ण करने के बाद म्योर सेंट्रल कोलेज से एफ. ए. किया | फिर इन्होने इलाहाबद  विश्वविद्यालय से बी. ए. पूरा किया | तथा उसके बाद इन्होने एक सरकारी विद्यालय में अध्यापक का कार्य भी किया | 

कैरियर :-

मदन मोहन मालवीय जी ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद एक सरकारी अध्यापक के रूप में कार्य किया | जिसमे इन्हें 40 रु. प्रतिमाह मिलते थे | इसके बाद इन्होएँ इलाहबाद हाईकोर्ट में एक वकील का कार्य भी किया | कुछ समय बाद ये पत्रकरिटा और राजनीती में भी आये | 


विवाह :-

मदन मोहन मालवीय जी का विवाह मात्र 16  वर्ष की आयु में कुंदन देवी के साथ हो गया | 


मदन मोहन मालवीय जी का राजनीतीक - जीवन :-

मदन मोहन मालवीय जी ने अपने राजनितिक जीवन की शुरुआत  1886 ई. में "भारतीय रास्ट्रीय कोंग्रेस " के दुसरे अधिवेशन से किया | इन्हें 1909 और 1918  में कुल दो बार कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया गया | ये " सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव कौन्किल" के सदस्य भी चयानित किये गये | मालवीय जी ने ब्रिटीश सरकार के शाशन में पंजाब दमन निति का आलोचना भी किया | मालवीय जी इ क्कात्तर हिन्दू थे , लेकिन ये शुद्धि और अश्प्रिश्यता निवारण को मानते थे | 

मदन मोहन मालवीय जी को तीन बार " हिन्दू महासभा का अध्यक्ष भी चुना गया | मदन मोहन मालवीय जी पढाई के मामले में अग्रसर रहे | इन्होने  देश भर से चंदा एकत्रित कर 1915  ई. में वाराणसी में काशी हिन्दू विश्वविध्यालय की स्थापना  की | 


मालवीय जी का हिंदी में योगदान :-

मदन मोहन मालवीय जी ने के पत्रकार के रूप में भी हिंदी के क्षेत्र में बहुत से योगदान दिए  | इन्होने पत्रों को हिंदी प्रचार का एक प्रमुख साधन बना लिया , जिससे इन्होने हिंदी भाषा को भी ऊँचा किया | धार्मिक सभाओ और राजनितिक कार्यो की वजह से इन्होने समपादन का कार्य भी छोड़ दिया |  मालवीय जी ने लेखक के रूप में हिंदी भाषा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया | 


 मालवीय जी का अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेंलन :-

1910 ई. में मादन मोहन मालवीय जी के सहयोग से इलाहाबाद में " अखिल भारतीय सम्मलेन की स्थापना हुई | इसी वर्ष काशी में प्रथम अधिवेशन भी हुआ | मदन मोहन मालवीय जी को इस सभा का सभापति बनाया गया  |  मालवीय जी ने यह बात कही है की , " वे हिंदी और हिन्दुस्तानी को एक नही मानते " | 

काशी नगरी प्रचारिणी सभा :-

मदन मोहन मालवीय जी ने 1893 ई. में कशी नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना की | मालवीय जी इस सभा को निरंतर बढ़ाते गे , अरु इन्होने अपने पूरे जीवन में इस सभा का प्रचार - प्रसार चालू रखा  |


मदन मोहन मालवीय जी राजनीती में आने के बाद महत गाँधी जी से मिले , और दोनों लोगो ने मिलकर देश के लिए बहुत से महत्वपूर्ण कर भी किये |   महात्मा गाँधी मालवीय जी को बड़े भाई मानते थे | गाँधी जी ने ही मालवीय को " महामना " की उपाधी दी | मदन मोहन मालवीय जी की वजह से ही " राष्ट्रिय प्रतीक ,  ' सत्यमेव जयते ' को लोकप्रिय बनाया , फिर बाद में इसे भारतीय राष्ट्रिय प्रतिक के निचे अंकित किया गया | मदन मोहन मालवीय जी की वजह से ही आज " सत्यमेव जयते " लोकप्रिय है | 


मृत्यु :-

महान हिंदी प्रचारक और समाज सुधारक  मदन मोहन मालवीय जी की मृत्यु 12 नवम्बर 1946 ई. को इलाहबाद |(प्रयागराज ) में हो गयी | 


तो दोस्तों , मैंने आपको आज के आर्टिकल Madan Mohan malviya Biography in Hindi में मालवीय जी की जीवनी , उम्र , विवाह, परिवार ,शिक्षा  और राजनितिक जीवन से जुडी जानकारी दी हिया  |अगर आपको इसमें कुछ महत्वपूर्ण जानकरी मिली हो , तो इसे शेयर करना न भूले | 


धन्यवाद


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