दशरथ मांझी की बायोग्राफी in Hindi
दशरथ मांझी का जीवन - परिचय हिंदी में | Dashratha Manjhi Biography in Hindi :-
आज मै एक ऐसे व्यक्ति की बात कर रहा हु जिन्होंने , गरीबी और कमजोरी को दूर करते हुए अपने संघर्षो के बल पर एक बहुत बड़े पहाड़ को तोड़ रास्ता बनाया जिससे लोग जल्दी से अपनी जरूरतों को पूरी कर सके , गाँव से बहार शहर जा सके | दशरथ मांझी जी को उनके संघर्षो के लिए पुरे विश्व में जाना - जाता है , जिन्होंने अकेले पाने दम पर पुरे पहाड़ को केवल एक छेनी और हथौड़ी की सहायता से काट कर रास्ता बना डाला |
प्रारम्भिक - जीवन :-
दशरथ मांझी जी का जन्म बिहार के गया में आने वाले एक गहलौर नमक गाँव में 14 जवारी 1929 ई. को एक गरीब आदिवासी परिवार में हुआ था | दशरथ मांझी जी बहुत ही पिछड़े इलाके से थे , जहाँ पर कोई भी सुख - सुख सुबिधाये पर्याप्त नहीं थी | दशरथ मांझी जी के गाँव से शहर तक जाने के लिए के बहुत बड़े पहाड़ को पार करना होता था | ता कही जाकर लोग शहर में पहुँच पाते थे , इस पहाड़ की वजह से ही कई बीमार लोगो की मृत्यु भी हो जाती थी , इसका उदाहरण स्वयं पहाड़ को काटने वाले दशरथ मांझी जी की पत्नी है |दशरत मांझी जी ने ही इस बड़े पहाड़ को काट डाला इसके पीछे इनकी पत्नी की मृत्यु थी | दशरथ मांझी जी ने केवल एक हथौड़े और छेनी की सहायता से 360 फिट लम्बी व 30 चौड़ी और 25 फिट ऊँचे पहाड़ को काट एक रास्ता बना डाला | दशरथ मांझी जी ने ये बिना किसी व्यक्ति या मशीन की मदद लिए 22 साल के कठिन परिश्रम के बाद किया | दशरथ मांझी जी ने इस पहाड़ को काट अपने गाँव और अन्य गावो को सीधा शहर को मिला एक सड़क बना दिया |
सड़क बनाने का कारन :-
दशरथ मांझी जी की शादी फाल्गुनी देवी जी के साथ हुई थी | एक दिन दशरथ जी अपने गाँव के पास गहलौर पर्वत के दुसरे छोर पर लड़की काट रहे थे | इस पहाड़ को पर कर ही दुसरे छोर तक जाया जा सकता था | तभी फाल्गुनी जी दशरथ मांझी के लिए खाना ले कर एक छोर से दुसरे छोर जा रही थी | लेकिन आचानक से वो पहाड़ के दर्रे में गिर गयी | और दवाई व इलाज के आभाव से दशरथ मांझी जी की पत्नी की मृत्यु हो गयी | तभी दशरथ मांझी जी को पहाड़ काट कर रास्ता बनाने का जूनून पैदा हुआ | तभी दशरथ मांझी जी ने एक संकल्प लिया की , वो अकेले ही इस पहाड़ को से रास्ता बनायेंगे | और अपने गाँव और अन्य गाँवो को सीधा शहर तक जोड़ेंगे जिससे , उन्हें जल्दी से सारी सुविधाये मिल सके | दशरथ मांझी जी अपनी कम उम्र में ही अपने घर से भाग गये , और धनबाद जिले में जाकर एक कोयले के खदान में काम करने लगे | फिर ये कुछ समय बाद अपन घर लौटे तब इन्होने अपने संकल्प को पूरा करने का सोंचा और उस पहाड़ को तोड़ कर रास्ता बनाने का काम शुरू किया | इहोने उस पहाड़ को बिना किसी व्यक्ति की मदद को 22 साल की कड़ी मेहनत के बाद तोड़ कर एक अच्छा रास्ता बनाना डाला | इन्ह्ने उस पहाड़ को तोड़ कुल 55 किलोमीटर के रास्ते को केवल 15 किलोमीटर में तब्दील कर दिया | दशरथ जी ने पहाड़ को काँटा जो इ कानूनी अपराध है , इन्होने यहाँ तक इस पहाड़ के पत्थर भी बेंच दिए | लेकिन फिर भी इनका ये कार्य सराहनीय है , क्युकी दशरथ मांझी जी ने इस पहाड़ को तोड़ लोगो को सुबिधाये दिलाई , और ये करोडो लोगो के मन में कुछ कर जाने की आग भी लगा दी | जब दशरथ मांझी जी इस इस पहाड को तोड़ रहे थे , तब इनके गाँव केव् एनी लोग इनके मजाक बना रहे थे | लेकिन रास्ता बन जाने के बाद वही लोग इनकी तारीफ़ करने लगे |
दशरथ मांझी को मिले पुरस्कार :-
दशरथ मांझी के इस कार्य से प्रभावित हो उन्हें बहुत से पुरस्कार भी मिले हिया | बिहार सरकार ने इनके कार्य से प्रभावित हो इन्हें सामाजिक सेवा के क्षेत्र में उन्हें पद्म श्री से भी सम्मानित किया |
निधन :-
भारत के लोगो को मेहनत के तरफ अपना मुख मोड़ने के लिए प्रेणित करने वाले दशरथ मांझी जी का दिल्ली के AIIMS आस्पताल में गाल ब्लैडर कैंसर के कारण मात्र 78 वर्ष की आयु में 17 अगस्त 2007 को निधन हो गया |
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