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 रानी लक्ष्मी बाई जीवनी | Rani Laxmi Bai Biography in Hindi :-

 आज हम भारत की एक ऐसी महान महिला योध्या के बारे में बात करने जा रहे है जिन्होंने अपने भारत देश के लिए अनेक राजाओं से लडाईया लड़ी , लक्ष्मीबाई ने हमारे देश के लिए और अपने राज्य झाँसी की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश सरकार  के खिलाफ लड़ी और देश को न्याय दिलाकर खुद वीरगति को प्राप्त हई | 


रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय :-

एक महान  स्त्री और योद्धाओ में सर्वश्रेष्ठ रानी लक्ष्मी बाई जी का जन्म 1828  ई. को काशी के ब्रम्हाण  परिवार में हुआ था , इनके पिता जी का नाम मोरोपंत ताम्बे विथुर था , जो की न्यायलय में एक पेशावर थे  | तथा इनकी माता जी का नाम भागीरथी बाई था , जो की एक धर्मपारयना स्त्री थी | रानी लक्ष्मी बाई जी पढाई - लिखाई में भी काफी अच्छी थी , ये अपनी शिक्षा के साथ - साथ घुड़सवारी , निशानेबाजी और अनेक प्रकार के कलाओ में निपुर रही |इनके परिवार के लोग इन्हें "मनु " बुलाते थे , इनके बचपन का नाम मणिकर्णिका था  |  मात्र 4  वर्ष के होते हुए ही लक्ष्मीबाई जी की माता जी का निधन हो गया , और इनका लालन - पोषण की जिम्मेदारी इनके पिता जी ने पूरी की ! लक्ष्मी बाई ने भी अपने जीवन काल में बहुत सघर्ष किया इनके पति के मृत्यु के बाद इनके पूरे राज्य की जिम्मेदारी इनके कंधो पर आ गयी , बहुत कठिनाइयो का सामना करते हुए लक्ष्मी बाई ने अपने राज्य को ब्रिटिश सरकार से सुरक्षित किया ! 


रानी लक्ष्मीबाई की वैवाहिक स्थिति :-

रानी लक्ष्मी बाई जी का विवाह  1842  में मात्र 14  वर्ष की आयु में ही झाँसी के राजा महाराज गंगाधर राव जी के साथ हो गया था , लक्ष्मीबाई और गंगाधर का एक  पुत्र भी हुआ , लेकिन वो केवल  4  माह तक ही जीवित रहा , गंगाधर जी को उनके पुत्र की मौत का दुःख बहुत ज्यादा था उसी चिंता के कारन गंगाधर जी  1853  में बहुत बीमार हो गये , तभी रानी लक्ष्मी बाई और गंगाधर ने ( महाराज गंगाधर राव के भाई) गोद लिया ,जिसका नाम आनदं राव था , लेकिन आगे बदलकर दामोदर राव रख दिया गया | 

फिर नवम्बर 1853  में बीमारी के प्रकोप के कारन महाराज गंगाधर राव जी की मृत्यु हो गयी , जिसके बाद रानी लक्ष्मी बाई जी ने मात्र 18 वर्ष की आयु में ही अपने राज्य का उत्तरदायित्व स्वयं पर ले लिया  |रानी लक्ष्मी बाई के राज्य के दौरान लार्ड डलहौजी गवरनर था | उसने गंगाधर जी की मृत्यु का फायदा उठाना चाहा , वो झाँसी को ब्रिटिश राज्य में मिलाना चाहता था , नियम के अनुसार उसने दामोदर को गंगाधर और लक्ष्मी बाई का पुत्र मानने स इंकार कर दिया ,  इसके विपरीत रानी लक्ष्मी बाई ने ब्रिटिश सर्कार के खिलाफ मुकदमा दायर की , लेकिन सरकार ब्रिटिश सरकार के कारन वो मुकदमा ख़ारिज कर दिया गया , और आदेश दिया गया की लाक्स्मिबाई किल्ले को खली कर दे और रानी महल में जाकर वहा रहे , इसके साथ उन्होंने लक्ष्मी बाई कोई प्रतिमाह 60,000  रु. देने का प्रस्ताव भी रखा , लेकिन लक्ष्मीबाई ने झाँसी न छोड़ने का निर्णय लिया , उन्होंने अपनि झाँसी औअर राज्य के लोगो के हित के लिए एक सेना संगठन का प्रारम्भ किया , और ब्रिटिशो के खिलाफ लड़ने लगी ! 


रानी लक्ष्मी बाई का संघर्ष :-

मार्च 1854 ई. को ब्रिटिश सरकार के द्वारा एक बजट तय किया गया , जिसमे झाँसी को ब्रिटिश सरकार में मिलने का आदेश दिया गया था | ब्रिटिश अफसर इलिश ने जब इस आदेश को लक्ष्मी बाई तक पहुँचाया तब उन्होंने इसे मानने से इनकार कर दिया और कहां " मई मेरी झाँसी नहीं दूंगी " | इसमें विवाद होने लगे तब रानी लक्ष्मी बाई ने एनी राज्यों को मदद लेकर एक सेना तैयार की , जिसमे पुरुष और महिलाये दोनो शामिल थे और इस सेना में कुल 14,000 सैनिक थे , जिसमे रानी लक्ष्मी बाई ने अपना महत्वपूर्ण  योग्दान दिया !  

रानी लक्ष्मी बाई ने 1857 में अपने पड़ोसी देश ओरछा और दतिया के राजाओं के साथ युद्ध भी किया , इसका मुख्या कारन यह था की , उन लोगो ने झाँसी पर चढ़ाई कर दी  |लेकिन इसमें लक्ष्मी बाई की जीत हुयी |  कुछ समय बाद अंग्रेज सर ह्यू रोज ने झाँसी पर हमला कर दिया उस समय तात्या टोपे के नेत्रित्व में कुल 20,000  सैनिको के साथ ये लड़ाई लगी गयी | ये दो हफ्तों तक चलि अंग्रेजी सेना ने किले पर कब्ज़ा कर लिया और अंग्रेज सरकार ने झाँसी में कब्ज़ा कर लिया , तब रानी लक्ष्मी बाई ने किसी तरह से अपने पुत्र दामोदर राव को बचाया | 


रानी लक्ष्मी बाई की मृत्यु :-

रानी लक्ष्मी बाई 




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