हिंदी के महान प्रतिभासंपन्न साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का जन्म 4 अक्टूबर 1884 ई. को उत्तर - प्रदेश के बस्ती जिले के अगोना नमक गावं में हुआ था | इनके पिता जी का नाम पंडित चन्द्रबली शुक्ल था , जो की एक कानूनगो के रूप में कार्यरत थे |रामचंद्र शुक्ल जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मिर्जापुर जिले के मिशन विद्यालय से पूर्ण की | आचार्य जी गणित में कमजोर थे , जिसके कारन इनकी शिक्षा आगे न बढ सकी , परन्तु बाद में इन्होने इंटर की परीक्षा पूर्ण करने के लिए कायस्थ पाठशाला प्रयागराज में प्रवेश लिया , परन्तु अंतिम साल की परीक्षा से पूर्व ही इनके पिता जी के नौकरी बदलने के कारन इनका विद्यालय छूट गया | उसके बाद इन्होने मिर्जापुर के न्यालय में ही नौकऋ कर ली , लेकिन उस नकारी के प्रति इनका स्वभाव्कूल न था जिसके कारन इन्होने वह नौकरी छोड़ दी | फिर बाद इन्होने मीरजापुर के ही मिशन विद्यालय में चित्रकला के अध्यापक के रूप में काम किया ! अध्यापन के दौरान ही आचार्य जी ने कहानिया , निबंध कविताये जैसे अनेक नाटको की रचना भी की ! आचार्य जी ने स्वाध्याय से हिंदी ,अंग्रेजी औ बहुत सी भाषाओ का अच्चा ज्ञान भही प्राप्त किया | कुछ समय बाद आचार्य जी की नियुक्ति प्राध्यापक पद पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय पद पर हो गयी, इन्होने यहाँ हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद पर भी कार्य किया !
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रामचंद्र शुक्ल जी |
इनकी विद्यावता से प्रभावित होकर शेम सुन्दर दस जी के द्वारा " कशी नागरी - प्रचारणी सभा में सम्मान हेतु भी बुलाया गया | ये 19 वर्षो तक काश नगरी - प्रचारणी सभा में संपादन का कार्य भी किया | इस महँ हिंदी - साहित्य की सेवा करने वाले रचनाकार, का 1941 ई. में देहांत हो गया !
साहित्यिक परिचय - आचार्य शुक्ल जी को पूर्ण रूप से हिंदी - साहित्य के एक प्रसिद्द निबंधकार , लेखक और कवी के रूप में ही जाना जाता है | शुक्ल जी ने हिंदी साहित्य में अपन योगदान ही नही दिया , बल्कि इन्होने स्वयं को इसमें कर्म और शर्म से भी अर्पण कर दिया | इन्होने बहुत खोज और सोंच- विचार के बाद " हिंदी साहित्य का इतिहास भी लिखा ,जिसके लिए इन्हें सम्मनित भी किया गया |
शुक्ल जी हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद पर भी सुशोभित हुए , इन्होने अपने अपने करुना , क्रोध रहस्यवादी का भी बहुत अनूठा समावेश भी किया है ! इसी के बदौलत आज भी इन्हें हिंदी साहित्य में सर्वोच्च रूप से यद् किया जाता है !
रचनाये - रामचंद्र शुक्ल जी एक रचनाकार , निबंधकार , एक इतिहासकर के साथ - साथ एक सफल और प्रसिद्ध संपादक भी थे ! अध्ययन के दौरान इन्होने बहुत से रचना की ! इनकी रचना शैली " आलोचनात्मक शैली " है ! इनकी कुछ रचनाये -
निबंध - शुक्ल जी का सबसे प्रसिद्द निबन्ध " चिंतामणि "" विचारवीथी " आदि है |
संपादन - " जायसी ग्रंथावली " "भ्रमंगित सार " ' तुलसी ग्रंथावली ' " हिंदी शब्द सागर " ' कशी नगरी प्रचारणी पत्रिका " आनन्द कादम्बिनी " आदि |
तो छात्रो , आज मैंने आपको हिंदी - साहित्य के रचनाकार , कवी , लेखक निबंधकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी के जीवन परिचय को बताया है , आशा करता हु आपको इस article में अच्छी जानकारी मिली होगी |
धन्यवाद 💓
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