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महादेवी वर्मा जीवन - परिचय

                                                              महादेवी वर्मा जीवन - परिचय 

आधुनिक मीरा के अनाम से प्रसिद्द महान कवियत्री महादेवी वर्मा जी का जन्म 1907 ई. को फर्रुखाबाद जिले में होली के दिन हुआ था  | महादेवी वर्मा के पिता जी का नाम श्री गोविन्द सहाय  था , जो की एक अध्यापक थे , और इनकी माता जी का नाम श्रीमती हेमरानी था | जो की एक धर्मपरायण स्त्री थी | बचपन के दिनों से ही जब महादेवी वर्मा की माता जी रामायण का पथ करती तो ये , बड़ी ध्यान पूर्वक उसे सुनती थी , जिसका प्रभाव महादेवी जी के जीवन पर भी पड़ा  | इसके  कारन इनके ह्रदय में साहित्य के प्रति लगाव उत्पन्न हुआ , और इन्होने बहुत कम उम्र में ही एक कवी की रचना की | ये अपने विद्यालय में भी एक कुशाग्र बुद्धि की  बालिका के रूप में जनि जाती थी  | अपनी स्कूली सिक्षा पूर्ण करने के बाद उच्च सिक्षा हेतु ये प्रयाग विश्वविद्यालय आयी , फिर उसके बाद ये प्रयाग महिला विद्यापीठ में ही प्राचार्य का पद संभाला | इनका विवाह बहुत कम उम्र में ही स्वरुप नारायण वर्मा के साथ हो गया | लेकिन इनका अपने पति के साथ दाम्पत जीवन अच्छा नहीं  रहा | बाद में कविवर रहीमन के संपर्क में आने के पश्चात् उन्होंने नारियो के लिए शिक्षा सम्मान अधिकार को आवश्यक बताया  | इनकी विशेष अभिरुचि पर भरत सरकार ने इन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया | 


                                                          मृत्यु

     ये महान कवियित्री अपने नस्वर शारीर को त्यागकर  1987  ई. में परलोक सिधार गयी | 


                                                       साहित्यिक परिचय 

महादेवी वर्मा जी को  हास्यमान हिंदी साहित्य जगत में निराला जी की भाती  माना जाता है | ये हस्यावादी कविओ में से एक है , इन्होने मैट्रिक उत्तीर्ण करने के बाद ही काव्य का सृजन किया , और इनके  काव्य में तरुन एवं भावुक्ताविशेष रूप में विराजमान थी | इनकी रचना पहली बार चाँद पालिका में प्रकाशित हुई , जिसके फलस्वरूप इनकी प्रतिभा को देखकर " सेकसरिया " एवं मंगला - प्रसाद पुरुस्कार से सम्मानित भी किया गया | 

                                                        

                                                              कृतिया 

महादेवी वर्मा जी की प्रमुख रचना -  निहार , नीरजा रस्म , दीपसिखा , यामा इत्यादि है | 


                                                               भाषा शैली 

इन्होने अपनी भाषा में तत्सम - प्रधान खड़ी बोली का प्रयोग किया है , तथा अपनी कविताओ में गीतात्मक, संन्गितात्मक , मर्लिक भावात्मक इत्यादि शैली का प्रयोग करके काव्य का सृजन किया | 


तो , आज मैंने आपको भारतीय कवित्री , महादेवी वर्मा जी का जीवन - परिचय बताया है , आशा करता हु , आपको ये जीवन - परिचय में अच्छी जानकारी मिली होगि| 

धन्यवाद


written by - kunal

















     
















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