ब्रिटीश शाशन से अपने पूरे परिवार के साथ लडती हुयी , अच्छाई , ईमानदारी नेक इरादों वाली दिव्यांगना शुभाद्रकुमारी चौहान जी का जन्म 1904 ई. को इलाहबाद जिले में निहालपुर मोहल्ले में हुआ था | इनके पिता श्री राम कुमार जी एक शिक्षित और प्रतिष्ठित व्यक्ति थे , इनके पिता जी व्रिटिश राज्य के विरुद्ध राष्ट्रिय आंदोलनों में भाग लेते रहते थे | शुभद्रा जी का बी आहूत छोटी उम्र से ही हिंदी काव्य से बहुत लगाव था | यही लगाव इन्हें इतनि उचैयो तक लाया | जिससे इन्होंने समाज में अपना नाम प्रसिद्द किया , सुभद्रा जी एक धर्मपरायण होने के साथ - साथ एक अच्छी और बहादुर स्त्री थी | जिन्होंने बहादुरी पूर्वक , अपनी बुद्धि के अधर पर सैदेव लोगो के लिए संघर्ष करती रही , इन्होने लोगो के कल्याण के आलावा अपने लिए कुछ विशेष नहि समझा , इनकी ख्याति भी बड़े महहन लोगो में होती है |
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श्री मति शुभाद्रा कुमारी चौहान जी |
राजनीती - शुभाद्र कुमारी जी का विवाह मध्य - प्रदेश में ठाकुर लक्षमण सिंह चौहान जी के साथ हुआ ,विवाह के बाद शुभाद्रा जी के जीवन में एक अलग मोड़ आया , गाँधी जी के आन्दोलन का इनपर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा , और प्रेरित हो कर , रास्त्र प्रेम पर कविताये लिखने लगी | इनके जी पिता पहले से ही आंदोलनों में अग्रसर जिनसे प्रभावित हो पूर्ति , शुभाद्र कुमारी जी भी आन्दोलन में कूद पड़ी | इन्होने असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारन अपनी पढाई छोड़ दिया , ये अपने पति के साथ अन्दोलानो में भाग लेती थी | जिसके कारन इन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा ,इन्हें म.प्र. विधानसभा का सदस्य भी चुना गया |
मृत्यु - इस महान क्रन्तिकारी , स्त्री का 1948 ई . में मोटर - दुर्घतना की वजह से मृत्यु हो गयी |
साहित्यिक परिचय - शुभद्रा जी के काव्य के अलावा भी उत्कृष्ट , देश - प्रेम , अपूर्व सहस तथा आतमोइओसर्ग की प्रबल कामना है | हिंदी के काव्य जगत में ये एक अकेली ऐसी कवियत्रि थी , जिन्होने अपने कंठ की पुकार से , करोडो भारतीय लोगो लूगो की युगों - युगो की अकर्मण उदासी को त्यागकर स्वतंत्रता संग्राम में अपने आप को झोंकने को प्रेणित किया | इनकी कविता में सचची वीरांगना का ओज और शौर प्रयोग हुआ | वर्षो तक सुभद्रा जी " झांशी वाली रानी थी " और वीरो का कैसा हो वसंत " शीर्षक कविताये लोगो की ह्रदय में ज्वाला जलती थी !
रचनाये - इनकी प्रमुख रचनाओ में "मुकुल और त्रिधारा " एक है | सीधे - साढ़े , बिखरे मोती चित्र , " आदि !
भाषा शैली - शुभाद्राकुमारी चौहान जी की भाषा शुद्ध सरल कड़ी बोली है , इन्होने दो रस भी चित्रित किये है " जिनका नाम वीर तथा वात्सल्य है "| नारीओ की ह्रदय की कोमलता और उसके मार्मिक भाव पक्षों को नितांत स्वाभावि रूप में प्रस्तुत करना इनकी शैली का एक मुख्य आधार है !
धन्यवाद
Written By - kunal
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