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कैप्टन विक्रम बत्रा बायोग्राफी

           विक्रम बत्रा जीवनी | Vikram Batra Biography


विक्रम बत्रा जीवनी , जन्म , परिवार , पत्नी , घर , पेशा , योगदान मृत्यु ( Vikram Batra Biography, birth , family, wife, home, occuption , constribute, death ) 


 आज हम भारत में जन्मे एक बुद्धिमान , ताकतवर , दयालु और बहुत ही सरल स्वाभाव के योद्धा , भारतीय सेना का एक हिस्सा बहुत ही कम उम्र में ही देश के लिये शहीद होने वाले विक्रम बत्रा जी के  बारे में बात कर रहे है  | कैप्टन   विक्रम बत्रा का  नाम भारतीय जवानो में सर्वोपरि है , न ही भारत में बल्कि कैप्टन बत्रा पाकिस्तान समेत कई देशो में  एक सूर्यवीर के रूप में प्रसिद्द है | कैप्टन विक्रम बत्रा  बहुत ही कम लोगो में से एक ऐसे भारतीय  जवान थे , जिन्होंने की देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुती हस्ते - हस्ते दे दी | कैप्टन बत्रा हिमांचल  - प्रदेश के रहने वाला थे, उनके पिता जी सरकारी विद्यालय के एक प्रधान्चार्य थे , और उनकी माता जी एक विद्यालय की अध्यापिका  थी  |  कैप्टन बत्रा 1995 में हांगकांग के  मुख्यालय की एक शिपिंग कम्पनी में  मर्चेंट नेवी के रूप में चनित हुए | 


                                          विक्रम बत्रा का प्रारंभिक परिचय 

भारतीय सेना के एक हिस्सा के रूप में देश के लिए आपने प्राण न्योछावर करने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा जी का जन्म 9 सितम्बर 1974 को हिमांचल - प्रदेश के घुग्गर  में हुआ था |  विक्रम बत्रा जी के पिता का नाम  श्री  जीएम बत्रा था , और माता का नाम श्री मति कमलकाँत्ता था | कैप्टन बत्रा के पिता जी एक सरकारी विद्यालय के प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत थे , और उनकी माता जी एक अध्यापिका थी | विक्रम बत्रा जी की दो बड़ी बहने और एक जुड़वाँ भाई  भी है | विक्रम बत्रा जी के भाई का नाम विशाल बत्रा है ,  हर जुड़वाँ भाई की तरह विशाल भी एकदम  अपने भाई  की तरह ही दीखते है | विक्रम बत्रा जी संघर्षी और अनुशाशन में रहने वाले व्यक्ति थे | कैप्टन बत्रा ने अपनी पढाई पालमपुर के डीएवी . विद्यालय से की | बत्रा जी के स्कूल में पढाई के साथ - साथ खेल भी होता था , उन दिनों बत्रा जी टेबल टेनिस और  कराटे में ग्रीन बेल्ट के बहुत ही अच्छे खिलाडी रह चुके है | स्कूली पढ़ाई पूरी होने के बाद विक्रम  बत्रा जी ने डीएवी  कोलेज से बीएससी में बायोलोजी से स्नातक किया | कैप्टन बत्रा कोलेज के समय एन . सी . सी . के एयर विंग में भी शामिल हुए | कोलेज के समय कैप्टन बत्रा को होंग्कंग के शिपिंग कंपनी में मर्चेन्ट नेवी में कम भी ,मिला | लेकिन किसी कारन वश कैप्टन बत्रा ने इसके लिए मना कर दिया | फिर विक्रम बत्रा ने अपनी आगे की पढाई के लिए पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में अंग्रेजी माध्यम में एम्. ए . में प्रवेश लिया  | इसी समय विक्रम की मुलाकात मुलाकात  उनकी सहपाठी डिम्पल चीमा से हुई , धीरे - धीरे दोनों एक दुसरे से प्रेम करने लगे | इसी समय कैप्टन बत्रा ने सीडीएस की परीक्षा दी जिसमे वे सफल हुए फिर उन्होंने भारतीय सेना  ज्वाइन कर लिया | उस समय कारगिल युध्ह जरी था , जिसमे कैप्टन बत्रा को जाना पड़ा , लेकिन कारगिल युद्ध में जाने से पहले कैप्टन बत्रा और डिम्पल दोनों ने  एक दुसरे से वादा किया , की कारगिल से लौटने के बाद दोने शादी कर लेगे , लेकिन शायद भगवान् को भी ये मंजूर न था ,और इसी युद्ध में दुश्मनों से लड़ते हुए कैप्टन बत्रा जी सहीद हो गये | तभी डिम्पल ने विक्रम की याद में जिंदगी में शादी न करने का वादा किया , और आज भी डिम्पल अविवाहित है | 


                                                     कैप्टन बत्रा की आर्मी करियर 

विक्रम बत्रा जी ने अपने कोलेज पढाई के दौरान सी . डी . एस . की परीक्षा  उत्तीर्ण करने के बाद 19 महीने की भारतीय सैन्य अकादमी में ट्रेनिंग करने के बाद जम्मू और कश्मीर रायफल के 13वी बटालियन में लेफ्टिनेट के रूप में नियुक्त हुए | ट्रेनिग के पश्चात् कैप्टन बत्रा जी की नियुक्ति बारमोला जिल्ले के सोपोर क्षेत्र में हुई | कुछ समय बाद उन्हें मध्य - प्रदेश भेजा गया , वहां उन्हें अल्फ़ा ग्रेडिंग से सम्म्मानित भी किया गया | फिर 1999 में कैप्टन बत्रा जी को कर्णाटक में ट्रेनिगं के लिए भी भेजा गया ट्रेनिग के बाद बत्रा जी को इन्स्त्रक्चार ग्रेड के ग्रेडिंग से सम्मानित किया गया | जो सर्वोच्च सम्मानितो में से एक है  |


                                                      कारगिल युद्ध 

कैप्टन बत्रा जी ने 1999 में भारत के इतिहास का सबसे बड़ा  युद्ध भी लड़ा | भृत्य सेना के साथ कैप्टन बत्रा ने अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय देते हुए बहुत से पाकिस्तानियो को मौत के घाट उतरा  |कैप्टन बत्रा इस युद्ध में जित के मुख्य हीरो थे  |


                                              कैप्टन विक्रम बत्रा का निधन 

कारगिल युद्ध के दौरान कैप्टन बत्रा जी ने भारतीय सेना के साथ मिलकर पाकिस्तानियो को धुल चटाया | लेकिन इस हमले में  विक्रम बत्रा  विरोधी पक्ष जी और से गोली और बमबारी में पूरी तरह घाल हो गये , फिर भी उन्होंने हर न मणि और जख्मी होने बावजूद भी उन्होंने पाकिस्तानियो पर ग्रेड फेका जिसमे कई पाकिस्तानी मारे गये , लेकिन भारत माता के सुपूत भारतीय सेना में शामिल विक्रम बतरा जी  गंभीर चोटिल होने के  कारण इस दुनिया में नही रहे | उन्होंने पाकिस्तानियो का सफाया करने के बाद देश की सेवा करते हुए अपने प्राण त्याग दिए  |


                                            विक्रम बत्रा पर फिल्म 

देश की रक्षा करते हुए , अपने प्राण त्यागने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा जी के जीवन पर आधारित एक फिल्म भी बनि  है, लोग कैप्टन बत्रा को शेरशाह के नाम से भी जानते थे , इसीलिए इस फिल्म का नाम भी शेरशाह है  |ये फिल्म भारटी में काफी पसंद की गयी | 


धन्यवाद् 


Written By Kunal 



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